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                पंचतंत्र की कहानियां (Panchatantra stories in Hindi) बहुत ही प्रसिद्ध है। कहानियां सुनना सभी को बहुत अच्छा लगता है |तो हम आज आपके लिए हिंदी कहानियां लेकर आए हैं |हमें पूरा यकीन है आपको यह हिंदी कहानियां(Hindi kahani) पढ़ कर बहुत ही आनंद आएगा।


|panchatantra stories in hindi 



Panchatantra story ,no.1

panchatantra stories |hindi kahani
Panchatantra stories in hindi



   panchatantra story, एक समय की बात है एक पेड़ पर बिल में एक सांप रहता था। वह सांप मेंढक, बत्तख और छोटे-छोटे पंछियों को खाता था।

   वह सांप दिन में सोता था और रात में शिकार करता था। कुछ दिनों बाद वह सब बड़ा हो गया और वह अपने बिल में नहीं जा सकता था इसलिए उसने सोचा कि अब वह नई जगह पर जाएगा वह नए ठिकाने की खोज में निकल पड़ा।

    अपने नए घर की खोज में उसे एक बड़े से बरगद के पेड़ पर एक बड़ा सा बिल दिखा। उसी पेड़ के बिल्कुल नीचे चीटियों की पहाड़ी थी। वह साप उस पेड़ के पास आया और चीटियों  से बोला अब से इस पेड़ पर मैं रहूंगा। तुम सब को इस जगह से तुरंत जाना पड़ेगा।

   उस पेड़ के आसपास रहने वाले सभी जानवर और पंछी बहुत डर गए, मगर चीटियों को कुछ भी फर्क नहीं पड़ा। वह पहाड़ी चीटियों ने बहुत ही मेहनत से बनाई थी। सभी चीटियां एकजुट होकर आगे बढ़ उन्होंने इस सांप को सभी दिशा से घेर लिया । जैसे ही उन्होंने सांप को घेर लिया सभी ने एक साथ सांप को काटना शुरू किया। सांप को बहुत ही दर्द हुआ और वह तुरंत वहां से भाग निकला।


सीख 


 इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि, कोई बात कितनी भी असंभव लगे , हमे एकतासे उसका सामना करणा चाहिये ।


Panchatantra stories in hindi

            panchatantra story ,no.2

panchatantra stories |hindi kahani
Panchatantra stories in hindi



                 एक बार एक पहाड़ी पर  विशाल वृक्ष पर सिंधुका नाम का एक विशेष पक्षी रहता था। उस पक्षी की खासियत यह थी कि जब उसकी बूंद जमीन पर गिरते तो वह शुद्ध सोने में परिवर्तित हो जाती थी। वह उस पेड़ पर अकेला रहता था। और शांति से अपना जीवन व्यतीत कर खुश था।

   एक दिन एक शिकारी पक्षियों की तलाश में पहाड़ियों की चोटी पर घूम रहा था। बहुत प्रयास करने के बाद भी उसे कोई भी पक्षी नहीं मिल रहा था तब उसने वही विशाल वृक्ष के नीचे विश्राम करने की  सोची। पेड़ के नीचे बैठते हैं उसकी आंख लग गई। उसी समय सिंधुकाकी बूंदे जमीन पर गिरी और सोने में परिवर्तित हो गई।

        थोड़ी ही देर में शिकारी की आंखें खुली तब उसने देखा कि उसके पैरों के पास सोना पड़ा हुआ है। उसने ऊपर देखा उसी वक्त सिंधु का की और बोले जमीन पर गिरी और शिकारी ने उन बूंदों को सोने में परिवर्तित होते हुए देख लिया। शिकारी को बहुत ही आश्चर्य हुआ।

    शिकारी सोचने लगा आज तक मैंने कितने ही पक्षियों को पकड़ा लेकिन ऐसा अद्भुत पक्षी आज तक मैंने नहीं देखा जिस की बूंदे जमीन पर गिरते ही सोने में परिवर्तित हो जाती है। यह निश्चित रूप से एक विशेष पक्षी है। जिससे मुझे पकड़ना है।

     दुख की बात यह है कि जब शिकारी सिंधु का को पकड़ने की योजना बना रहा था तब सिंधु का को पता भी नहीं था और वह अपने ही धुन में पेड़ पर आराम से बैठा हुआ था। शिकारी ने बहुत ही होशियारी से जाल डाल दिया और सिंधु का को पकड़ लिया।

    शिकारी ने सिंधु का को पिंजरे में डाल दिया सिंधु का सोचने लगा कि मैं कितनी लापरवाही से पेड़ पर बैठा रहा इसलिए कैद हो गया। दूसरी तरफ शिकारी सोच रहा था अगर मैं इस विशेष पक्षी को अपने घर में रख लूंगा तो मैं थोड़ी ही दिनों में अमीर बन जाऊंगा इससे लोगों को संदेह होगा और कभी ना कभी लोगों को इस पक्षी के बारे में पता तो चलना ही है तब लोग राजा को बता देंगे और यह पक्षी मुझे राजा को देना पड़ेगा | इस से अच्छा है कि मैं आज ही यह पक्षी राजा के सामने प्रस्तुत करूं जिसके कारण राजा मुझे कुछ बख्शीश देगा और उसके सहारे में अपना जीवन व्यतीत कर लूंगा।

       योजना के अनुसार शिकारी  राजा  के पास पहुंचा और उसने राजा को सभी बात बता दी | तब राजा बहुत खुश हुआ ,और उसने अपने सिपाहियों को कहा , "इस पक्षी का विशेष ध्यान रखा जाए |यह आज से हमारा राजकीय पक्षी होगा |इसकी देखभाल में कोई भी लापरवाही नहीं होनी चाहिए। उतने में ही राजा का एक मंत्री वहां पर आ जाता है और राजा जी से कहता है ,"महाराज यह शिकारी शायद झूठ बोल रहा है" इसे पैसे की लालच है |इसलिए यह ऐसी बातें कर रहा है |भला कोई पक्षी बूंदे गिराए और वह सोने में परिवर्तित हो जाए ऐसा कभी नहीं हो सकता| इसके लिए आप इस पक्षी को छोड़ दीजिए और इस शिकारी को झूठ बोलने के लिए सजा सुनाइए|

         राजा अपने विश्वसनीय मंत्री की बात सुन लेता है और पक्षी को मुक्त कर देता है| तभी सिंधुका महल के खिड़की के ऊपर जा बैठता है और अपनी बूंदे गिराता है और वह बूंदे सोने में परिवर्तित हो जाती है| यह सभी लोग देखते हैं |राजा बहुत ही नाराज हो जाता है और सोचता है कि मैंने बहुत ही अच्छा मौका गवा दिया है|

     वह अपने सिपाहियों से उस पक्षी को पकड़ने के लिए कहता है ,लेकिन बहुत ही देर हो चुकी होती है| सिंधुका आकाश में उड़ जाता है और सोचता है कि अगली बार में इस तरह की लापरवाही बिल्कुल नहीं करूंगा| और वह दूसरे पहाड़ी पर एक घने पेड़ पर चला जाता है जहां उसे कोई भी पकड़ ना सके |


सीख 👇

    इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कोई बात कितनी भी असंभव लगे , लेकिन उसकी पूरी छानबीन कर लेनी चाहिए।

Panchatantra stories in Hindi

Panchatantra story ,no.3 

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Panchatantra stories in hindi




                  वीर नाम का एक किसान था वह दूसरों के खेतों में हल जोत कर अपनी रोजी रोटी कमाता था एक दिन वह एक खेत पर गया और अपना काम करने लगा वह थोड़ी खुदाई कर रहा था थोड़ी खुदाई करने के बाद उसे कुछ चमकीला नजर आया उसने देखा तो वह सोने का ढेर था।

        वीर इतना सोना देखकर बहुत आनंदित हुआ और अपने आप को बहुत ही भाग्यशाली समझने लगा। उसे लगा कि इतना सारा सोना वह दिन के उजाले में घर नहीं ले जा सकता इसलिए वह रात में आएगा।

   योजना के अनुसार वीर रात को उसे ही जगह पर आया और उसने सोने का ढेर बाहर निकाला लेकिन सोने का ढेर बहुत ही भारी था इसलिए उससे वह उठाया नहीं जा रहा था वीर ने थोड़ी देर सोचा और उस सोने के 4 हिस्से की और थोड़ा-थोड़ा करके वह सुना अपने घर ले गया

   उस सोने के कारण वीर बहुत ही अमीर इंसान बन गया और खुशी-खुशी अपनी जिंदगी जीने लगा।

सीख


इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें जो भी कीमती चीज मिली है उसे बहुत ही सोच समझकर इस्तेमाल करना चाहिए।

Panchatantra stories in hindi 

Panchatantra story ,no.4 

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Panchatantra stories in hindi



   चार ब्राम्हण थे वह ज्ञानार्जन के लिए एक अच्छे गुरु की तलाश कर रहे थे। तलाश करते  हुए एक जंगल के बहुत ही भीतर पहुंच गए | वहां पर उन्हें एक कुटिया मिली। उस आश्रम में योगी भैरव नंदा रहते थे। वह बहुत ही ज्ञानी थे।

    योगी जी से मिलकर उन चारों ब्राह्मणों ने उनसे कहा ,कि "हमें आपकी शक्तियों के बारे में पता है और आपके   ज्ञान के बारे में भी। कृपया आप हमें कुछ ज्ञान की बातें सिखाएंगे।"

      योगी जी आश्रम के अंदर जाते हैं और बेलचे(फावड़ा) ले आते हैं। प्रत्येक ब्राह्मण को एक-एक बेलचा देते हैं और उनसे कहते हैं कि," गांव के पास एक छोटा सा तालाब है, और उस तालाब के साथ ही एक अंजीर का पेड़ है| उस पेड़ के पास ही जो लाल मिट्टी है वहां पर खोजो और अपनी किस्मत आजमा कर देखो।

     चारों ब्राह्मण उसी स्थान पर आ पहुंचे। और खुदाई करने लगे थोड़े से खुदाई करने के बाद एक ब्राह्मण को तांबे के चट्टान मिल गई |वह बहुत ही खुश हुआ और बाकी ब्राह्मणों से कहने लगा." चलो हम यह तांबे की चट्टान आपस में बांट लेते हैं।

    बाकी ब्राह्मणों ने उसे मना करते हुए कहा," नहीं, हम यहां और खुदाई करेंगे तुम अपना हिस्सा लेकर जा सकते हो |और वह वहां खुदाई करने लगे| तभी थोड़ी खुदाई करने के बाद एक ब्राह्मण को चांदी की चट्टान मिल गई |वह बहुत ही खुश हुआ और उसने बाकी के दोनों ब्राह्मणों से कहा," चलो हम यह चट्टान आपस में बांट लेते हैं| तभी वह दोनों बोले," नहीं, तुम भी चले जाओ और हम यहां पर और खुदाई करेंगे| शायद हमें आगे सोना मिल जाए तब वह दूसरा ब्राह्मण  चांदी लेकर चला गया।

    बचे हुए दोनों ब्राम्हण खुदाई करने लगे |तब एक ब्राह्मण को सोने की चट्टान मिल गई और उसने दूसरे ब्राह्मण से कहा "चलो हम यह सोना आपस में बांट लेते हैं| तब वह आखरी वाला ब्राह्मण कहने लगा ,"नहीं, पहले तांबा फिर चांदी और उसके बाद सोना निकला है| मैं यहां पर और खुदाई करूंगा तो शायद मुझे हीरे भी मिल जाए |इसलिए तुम जाओ मैं नहीं आऊंगा। ऐसा कहकर वह ब्राह्मण खुदाई करने लगा।

    खुदाई करने में वह इतना व्यस्त रहा कि वहां पर बहुत बड़ा गड्ढा हो गया और वह अचानक बहुत ही अंदर गिर गया और ऐसी जगह पर जा पहुंचा जहां पर एक आदमी के सर पर एक चक्र घूम रहा था | ब्राह्मण ने उस आदमी से पूछा ,"तुम कौन हो? और यहां पर क्या कर रहे हो? वह व्यक्ति जोर से हंसने लगा उसने ब्राह्मण से कहा ,"अब तुम यहां पर फस गए हो |इस खजाने की रक्षा करना अब तुम्हारी जिम्मेवारी है |ऐसा कहते ही , वह चक्र उस ब्राह्मण के सर पर आ गया और घूमने लगा।

    उस व्यक्ति ने ब्राह्मण से कहा कि मैं भी यहां पर अनेकों वर्षों से पड़ा हुआ था | मैंने भी तुम्हारे ही तरह लालच में यहां पर बहुत ही बड़ा गड्ढा कर दिया था |लेकिन अब यहां से मैं मुक्त हो गया हूं |ऐसा कहकर वह आदमी उसी गड्ढे से ऊपर आ गया।

    तभी वहां पर वह तीसरा ब्राह्मण आ गया और अपने दोस्त को खोजने लगा |उसे वह अनजान आदमी दिखा तब ब्राह्मण ने उससे अपने मित्र के बारे में पूछा| उस आदमी ने उस ब्राह्मण को सभी घटना बता दी | ब्राह्मण को अपने मित्र की यह दुर्दशा सुनकर बहुत ही बुरा लगा लेकिन वह अब कुछ नहीं कर सकता था।
Panchtantra kahani

सीख 

     इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि लालच बहुत ही बुरी बला है।

Panchtantra kahaniyan Hindi kahani, story no.5

सच्चा दोस्त 

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Panchatantra stories in hindi



    एक गांव में 3 दोस्त रहते थे। गणेश ,महेश और राधा। तीनों की दोस्ती बड़ी पक्की थी। गणेश और महेश बहुत ही चतुर बच्चे थे। कोई भी काम वह दो तीन बार सोच के करते थे।
      
          वहीं दूसरी ओर रमेश थोड़ा लापरवाह था। एक  दिन महेश, रमेश और गणेश से बोला ,"अरे हमें तो आज आम के खेत में जाना था ना आम खाने के लिए"| तभी गणेश ने कहा ,"हां ,अरे हमें तो आज जाना था| लेकिन आम के खेत में जाने के लिए हमें जंगल को पार करना पड़ेगा। और उस जंगल में बहुत सारे जंगली जानवर भी हैं।
      
           गणेश ने कहा अरे जंगल में जाने के लिए मुझे मां और बापू को पूछना पड़ेगा | तभी रमेश ने कहा अरे क्या हर बात तो मां बापू से पूछते हो चलो हम आम खाने के लिए जाएंगे।

          वह तीनों जंगल के लिए निकल पड़े |जंगल में चलते हुए उन्हें बहुत ही डर लग रहा था | क्योंकि उन्होंने बहुत सी डरावनी कहानियां सुनी हुई थी| तभी अचानक उन्हें लगा कि उनके पीछे कोई आ रहा है| उन्होंने पीछे मुड़कर देखा तो एक भालू उनकी तरफ ही आ रहा था| तीनों बहुत ही डर गए और दौड़ने लगे |दौड़कर वह एक पेड़ के पीछे छुप गए |तभी रमेश ने महेश और गणेश से कहा," मुझे इस पेड़ पर चढ़ने के लिए मदद करो,उसके बाद मैं तुम्हें हाथ देकर ऊपर खींच लूंगा|" तभी गणेश और महेश ने रमेश को पेड़ पर चढ़ने के लिए मदद की. लेकिन ऊपर चढ़ते ही रमेश ने गणेश और महेश को हाथ नहीं दिया| बल्कि कहने लगा यहां पर एक ही व्यक्ति बैठ सकता है इसलिए मैं तुम्हें हाथ नहीं दे सकता।

           गणेश और महेश दोनों ही बहुत गुस्सा हुए लेकिन इतने में वह भालू उनके और भी पास आ चुका था| तभी गणेश और महेश ने जमीन पर लेट कर मरे हुए होने का नाटक  किया |भालू उनके पास आया और उन्हें सूंघकर वहां से चला गया।

      गणेश और महेश दोनों ने ही अपने युक्ति से खुदकी जान बचा ली थी। तभी रमेश ऊपर से बोला ,"वाह तुम दोनों तो बच गए मुझे लगा अब वह भालू तुम्हें खा लेगा |चलो अब मुझे जल्दी से नीचे उतारो| तभी गणेश और महेश बोले तुम्हारे जैसे मित्र को हम आज से कोई भी मदद नहीं करेंगे |जाओ हम तुम्हें पेड से नीचे उतरने के लिए मदद नहीं करेंगे हम अब घर जा रहे हैं|" और दोनों वहाँ  से घर निकाल जाते है|

    सीख 

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है, कि सच्चे दोस्त की परीक्षा कठिन समय में ही होती है।
       
     
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