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       प्रिय मित्रों वृक्ष एवं पेड़ ,पौधों का हमारे जीवन में अनन्य साधारण महत्व है। पेड़ों के कारणहीं सभी सजीव जीवित रह सकते हैं। लेकिन हम मनुष्य को पेड़ों के उपकारोंके बारे में सोचने एवं बात करने के लिए वक्त कहां है? इसी बात का दुख प्रदर्शित करने के लिए पेड़ बोलने लगे तो, पेड़ अपने भाव व्यक्त करने लगे तो, हमारे साथ क्या बोलेंगे? यही हमारी आज के निबंध पेड़ की आत्मकथा,(ped ki atmakatha) या फिर मैं पेड़ बोल रहा हूं  mein ped bol raha hu) निबंधमें देखेंगे। इस निबंध को हम |पेड़ का मनोगत| भी कह सकते हैं |

ped ki atmakatha
aam ke ped ki aatmkatha essay in hindi



        प्रिय मित्र यहां पर  हमने  पेड़ की आत्मकथा विषय पर दो से अधिक निबंध लिखिए आप यह निबंध पढ़िए और अपने शब्दों में पेड़ की आत्मकथा विषय पर निबंध लिखने का प्रयास कीजिए\ यहां पर दिए गए निबंध केवल आपके अभ्यास हेतु दिए गए हैं | इन निबंध को जैसे-तैसे मत लिखिए। निबंध लेखन एक कला है। यह प्रयास करने के बाद विकसित हो जाती है। यहां दिए गए पेड़ की आत्मकथा निबंध को आप केवल अभ्यास के लिए इस्तेमाल करें। आपको ढेर सारी शुभकामनाएं तो चलिए पढ़ते हैं हम पेड़ की आत्मकथा निबंध।

निबंध क्रमांक १ 

|पेड़ की आत्मकथा 

Ped ki atmakatha,in hindi

|मैं पेड़ बोल रहा हूं निबंध हिंदी

           आप सभी को मेरा प्यार भरा प्रणाम । मैं एक पेड़ बात कर रहा हूं। मैं बहुत दिनों से आपसे बात करने और अपना मन थोड़ा हल्का करने की सोच रहा था।  सभी जीवित चीजें और प्रकृति का बहुत करीबी रिश्ता है। वास्तव में देखा जाए तो सभी जीवित चीजें प्रकृति में बनाई गई है और वे प्रकृति में ही समाप्त होती है।

         सभी  प्राणियों के लिए जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। हम पेड़ पौधे सभी प्राणियों को पुराना भाइयों प्रदान करते हैं। प्राणियों के बिना मनुष्य पांच मिनट भी जीवित नहीं रह सकता है। हम पेड़ यह कीमती प्राणवायु मुफ्त में ही देते हैं। लेकिन इस बारे में बहुत कम ही लोग सोचते हैं। 

|पेड़ की आत्मकथा हिंदी निबंध

          अनेकों प्रकार के पक्षी हमारे शाखाओं पर अपने घोंसले बनाते हैं। पक्षी घोंसलोमें अपने बच्चों  को जन्म देते हैं और अंडे भी देते हैं। हम सभी पर उन पंछियों की मां की तरह देखभाल करते हैं। लेकिन तुम लोग अपने घर बनाने के लिए बड़ी बेदर्दी से हम पेड़ों को काट ते हो। जब तुम लोग पेड़ों को काटते हो तो उस वक्त पेड़ों पर जो पंछियों के घोसले होते हैं उन्हें भी तोड़ देते हो। आप सब उनके अस्तित्व का विचार कब करेंगे ।इतने बेरहम तो मत बनिए।
        बड़ी संख्या में वृक्षोंवाले क्षेत्र में भूमि उपजाऊ होते हैं। पेड़ों की जड़ें मिट्टी को कसकर पकड़ती है। यह बारिश या बहते पानी के कारण होने वाले मिट्टी का कटाव रोकते हैं। जमीन पर डेढ़ से 2 इंच मिट्टी की परत बनने में लगभग 800 से 1000 साल लगते हैं और ऐसी बहुमूल्य मिट्टी वनों की कटाई से धूल जाती है। मिट्टी की बनावट अच्छी नहीं होगी तो उसने फसल कैसे बढ़ेगी?
      अच्छी फसल नहीं बढ़ेगी तो आप क्या खाएंगे? इसलिए सावधान रहें और समझदारी से काम ले।
     
          अगर पेड़ ही नहीं रहेंगे तो सभी सजीव भी नष्ट हो जाएंगे। सजीव नष्ट हो जाएंगे तो तुम अपने बनाए हुए घरों में भी कैसे रह सकोगे। मैंने अपने पूरे जीवन काल में कई मौसम देखे हैं। और मेरे अनुभव से मैं यह कह सकता हूं कि तुम जैसा बोओगे वैसा काटोगे। तुम अगर दूसरों पर प्रेम लूटाओगे तो तुम्हें भी ढेर सारा प्रेम मिलेगा।

         तुमसे ढेर सारी बातें हो चुकी है। अगर मेरी बातों का कुछ बुरा लगा हो तो मुझे क्षमा कर दो। लेकिन मैंने जो बातें कहीं हैं उन पर विचार अवश्य करें।


                                                                   निबंध क्रमांक २


|एक वृक्ष की आत्मकथा 

|ek ped ki atmakatha

     
       नमस्कार प्रिय मित्रों में एक रूप से बोल रहा हूं। आज तक मैंने कई मौसम देखे हैं कई सदियों से मैं यहां पर खड़ा हूं। अनेकों बाधाएं आई परंतु में टस से मस ना हुआ। मैं अपने मुलोसे जुड़ा रहा।
       मैंने अपने जीवन काल में चिरकाल से पीड़ा झेली है। नियमित रूप से बदलने वाले रोगों का प्रकोप भी मैंने अपने ऊपर से ला है जेठ में पढ़ने वाली गर्मी जी रहे हैं। बारिश के दिनों में आसमान से गिरने वाली दलित का प्रभार भी छैला हुआ है और बारिश में मैं बहुत भीगा भी हूं। जाड़े के दिनों में ठंड से ठिठुर भी गया हूं।
        आसमान में उड़ते पंछी भी मैंने देखे हैं। गर्व से मानहानि होकर  फर्श पर आते बड़ी-बड़ी हस्तियां भी देखी है। मैंने अपने जीवन काल में घोर एकाकीपन झेला है। जिनको मैंने जेठ के दुपहर में ठंडी छाया देकर मेरे आगोश में लिया है। उन्होंने ही मुझ पर कुल्हाड़ी चलाई थी। 
        हम पर तो बचपन से आपके साथ ही हैं। आप जब छोटे थे तब हमारी लकड़ी के पालने में आप झूला झूले। जब तुम युवा अवस्था में पहुंचे तब मेरे ही लकड़ी से बनाई हो गए बिस्तर पर सोते हो। मृत्यु के बाद शरीर को जलाने के लिए भी लकड़ी ही काम आती है। इस तरह में तो तुम्हारा, तुम्हारे जन्म और मृत्यु तक साथ देने वाला सच्चा मित्र हूं।


       प्रिय मित्रों ऊपर हमने पेड़ की आत्मकथा विषय पर दो निबंध लिखें और हम पढ़ेंगे आम के पेड़ की आत्मकथा हिंदी निबंध

|आम के पेड़ की आत्मकथा 

|Aam ke ped ki atmakatha essay in hindi

      प्रिय मित्र नमस्ते। मैं आम का पेड़ हूं। आज आपसे जरा से बातें की जाए इस विचार से आप से बोल रहा हूं। गांव की एक किसान की बगिया के बीच मैं खड़ा हूं। उसने मुझे बड़े ही प्यार से बड़ा किया है। इसके बदले में मैं भी किसान को बहुत ही मीठे मीठे आम के फल देता हूं। मेरे मिठास का तो सारा गांव दीवाना है।

      मेरे ऐसे ही मीठे स्वाद के कारण गांव के बच्चे अक्सर इस बगिया में प्रवेश कर देते हैं। और मेरे मीठे स्वाद का जी भर के लुफ्त उठाते हैं। मेरी रखवाली करने के लिए किसान ने एक आदमी को नियुक्त किया है। वह आदमी भी मेरे मिठास का स्वाद लिए बगैर रह नहीं सकता। किसान कुछ भी कर ले लेकिन बच्चे मेरे ओर आने से कभी भी नहीं चूकते।

      मेरे ऊपर लगने वाले आम के फलों  का स्वाद चखने के लिए बड़े लोग और नौजवान भी बगिया में प्रवेश कर देते हैं। कई बार तो उनका किसान से झगड़ा भी हो जाता है। जैसे ही आम पकने लगते हैं तो आम खरीदने के लिए लोगों की कतारें लग जाती है। आमको कोकन का राजा भी कहते हैं।

         हम पकने से पहले बहुत ही खट्टे होते हैं |खट्टे और कच्चे आमों को कैरी दी कहा जाता है। आम के फल को सभी फलों का राजा कहा जाता है। हम भारत का राष्ट्रीय फल भी है। भारत के साथ-साथ पाकिस्तान का राष्ट्रीय फल भी आम है। बांग्लादेश का राष्ट्रीय वृक्ष है और फिलीपींस का राष्ट्रीय प्रतीक भी है। 

      मेरी यानी आम की बहुत सारी प्रजातियां होती है। जैसे केसर, लंगड़ा, दशहरी हर कोई अपनी पसंद अनुसार मुझे खरीदता है। आमको एक पवित्र पेड़ भी माना जाता है। पूजा विधि मेरे पन्नों का और आम का भी उपयोग किया जाता है। जब भी कोई बड़ा त्यौहार होता है तब मेरे पन्नों को को द्वार पर लगाया जाता है।

|आम के पेड़ की आत्मकथा

    आज मैं एक बड़ा वृक्ष  बन गया हूं ।लेकिन जब किसान मुझे लेकर आया था तब मैं बहुत ही छोटा सा  था। किसान ने मुझे बहुत ही प्यार से पालकर इतना बड़ा कर दिया है। वह मुझे सही समय पर पानी डालता था। मुझे पशु पक्षियों और जानवरों से बचाने के लिए किसान ने मेरे चारों ओर सुरक्षा का घेरा डाल दिया था। उसने मेरे आजू-बाजू में कई कांटे भी लगा दिए थे।

     किसान के इस प्रेम के कारण मैं अब बड़ा हो गया हूं । मेरे फलों से किसान को आर्थिक लाभ भी होता है। मेरे फलों को बेचने के लिए किसान शहर में ले जाता है। शहर में रहने वाले लोग मेरे पर लोगों खाना बहुत ही पसंद करते हैं। मेरा स्वाद चखने के लिए वह कितने भी पैसे देने के लिए तैयार रहते हैं। कई दुकानों पर मेरे फलों का रस भी बेंचा जाता है।

     मेरे फलों का रस पीने के बाद लोग संतुष्टि का अनुभव करते हैं। मेरी प्रशंसा करते हुए थकते नहीं है। मुझे भी अपनी प्रशंसा सुनने में बहुत अच्छा लगता है। एक विचार मेरे मन को घेर लेता है, यह दिन भी हमेशा के लिए नहीं रहेंगे ।एक दिन में भी बूढ़ा हो जाऊंगा फिर सोचता हूं बूढ़ा जब होगा तब देखा जाएगा लेकिन आज तो मैं जवान हूं तो लोगों को ढेर सारा प्यार बाटता रहूंगा। तब तक मेरा रस पीकर या मुझे देखकर लोगों के चेहरों पर जो मुस्कान आएगी उसे देखकर ही मैं बहुत खुश हो जाऊंगा।


             प्रिय दोस्तों हमारे इस आर्टिकल aam ke ped ki aatmkatha essay in hindi को शेयर करना मत भूलिए ,धन्यवाद। और हां आपको यह आम के पेड़ की आत्मकथा निबंध कैसा लगा यह भी हमें कमेंट करके बताना ना भूले।
     

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