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     प्रिय विद्यार्थी मित्र आज हम देखेंगे सड़क की आत्मकथा निबंध।|sadak ki atmakatha  यह निबंध लिखते समय हम नीचे दिए गए बातों पर ध्यान देंगे।
  • प्रस्तावना
  • सड़क का निर्माण
  • सड़क की अपेक्षा और उपेक्षा
  • वर्तमान स्थिति 
  • भविष्य का अनुमान उपसंहार।
sadak ki Atmakatha in Hindi
 मैं सड़क बोल रही हूं निबंध हिंदी।


सड़क की आत्मकथा  

|sadak ki Atmakatha in Hindi 

| मैं सड़क बोल रही हूं निबंध हिंदी। |Autobiography of a road in hindi

   
   नमस्ते प्यारों मित्रों मैं सड़क बोल रही हूं। आज जैसी में दिख रही हूं ऐसे पहले मैं नहीं थी। मेरी कहानी यानी कि मेरी आत्मकथा बहुत ही रोचक है।  मेरी आत्मकथा सुनने में आपको बहुत ही आनंद आएगा क्या आप मेरी आत्मकथा सुनोगे? अच्छा , तो सुनो।
   बहुत सालों के बाद है जब मैं केवल एक लंबी संकरी पगडंडी होगा करती थी। बहुत सारे लोग मुझ पर से पैदल आते जाते रहते थे। मैं बहुत ही संकरी होने के कारण मुझ पर से सिर्फ लोग आते जाते थे। लेकिन एक दिन गांव के कुछ युवा लोग मिलकर बोले के इस पगडंडी को अब हमें बड़ा करना चाहिए। फिर गांव की बहुत से लोग मिलकर मेरा रूप बदलने के काम में लग गए और कुछ ही दिनोंमें मैं संकरी पगडंडी से चौड़ी सड़क बन गई।
     अब तो मैं बहुत ही खुश हो गई थी क्योंकि अब मुझ पर से बड़ी-बड़ी गाड़ियां भी दौड़ने लगी थी। सुबह शाम लोग मुझ पर से आने-जाने लगे। कुछ दिनों बाद गांव के एक प्रमुख व्यक्ति ने जिला कार्यालय के अधिकारियों से मुलाकात कर मुझ पर अच्छे से कंकड़ डलवाए और इसके कारण मुझ में थोडी। मजबूती आई।
      इस वर्ष चुनाव होने वाले थे।  मेरा इस्तेमाल करने वाले कुछ लोगों ने मेरी दुरावस्था की ओर नेता महोदय का ध्यान आकर्षित कर दिया। नेता जी ने भी लोगों को मेरे अच्छे निर्माण का आश्वासन दिया। कुछ ही दिनों में मैं कच्ची सड़क से पक्की सड़क बन गई। अब  तो मेरा रुप पूर्ण स्वरूप से बदल गया है। इस विभाग में लोगों का आना जाना बहुत बढ़ गया है। बड़े बड़े वाहन मुझ पर से गति से दौड़ते हैं। मेरे दोनों तरफ बहुत से पक्के मकान और कहीं दुकाने बन गई है।
     दुकानों और घरों के कारण मेरे ऊपर चलने वाले लोगों की भीड़ भी बहुत बढ़ गई है। कुछ निसर्ग प्रेमियों ने मेरे दोनों किनारों पर सुंदर पेड़ लगाकर हरियाली भी कर दी है। हरियाली के कारण मेरी धूप से भी रक्षा होती है। पेड़ों पर लगने वाले फूल और फूलों के कारण मेरी सुंदरता और भी बढ़ गई है। फूलों की सुगंध से मैं बहुत ही खुश हो जाती हूं।
    मेरा यह कायापलट होने में तुम्हारे पिताजी की बहुत बड़ी भूमिका है। मैं तो तुम्हें यही शुभकामनाएं दूंगी कि भविष्य में तुम भी अपने पिताजी की तरह दूसरों का हित चाहने वाले बनो। दूसरों के सुख में ही अपना सुख मानो और सब की उन्नति के लिए हमेशा प्रयास करो। मेरे अच्छे निर्माण के कारण आगे के कुछ गांवों में सरकारी सुविधाएं पहुंचने में बहुत ही आसानी हो रही है।
     मेरे  कारण दूसरे गांव में जाने के लिए अब लोगों को तकलीफ नहीं होती।  उनका समय भी बच जाता है। मुझे एक बात देख कर बहुत अच्छा लगता है कि ,मैं तो अपने जगह पर ही हूं लेकिन मेरे कारण लोग जिंदगी में बहुत आगे बढ़ रहे हैं। 
   मेरे दोनों किनारों पर सुंदर सी रोशनाई  हुई है। इसके कारण रात को भी लोग यहां से आ जा सकते हैं वह भी बिना किसी डर के। यहां आगे नजदीकी ही एक रेलवे स्टेशन है। पहले रात्रि में जब कोई मुसाफिर आते थे तब उन्हें स्टेशन पर ही रात बितानी पड़ती थी। लेकिन अब मेरे अच्छे निर्माण के कारण वह रात्रि में भी अपने घर बड़े आसानी से रिक्शा से पहुंच जाते हैं। मेरे किनारे पर ही एक पुलिस चौकी भी बनाई गई है इसके कारण महिलाएं भी सुरक्षित रूप से अपने गंतव्य तक पहुंच जाती है।
   एक सड़क की हैसियत से मैं तुम्हें आशीर्वाद देती हूं कि जिंदगी में तो बहुत आगे बढ़ो। दूसरों की भलाई करो और दूसरे को अधिकाधिक सुख देने का प्रयास करो। तब तुम जिंदगी में खुद भी बहुत ही प्रगति कर सकोगे।

|मैं सड़क बोल रही हूं निबंध हिंदी  ,2 

|एक सडक की आत्मकथा

  नमस्कार प्रिय दोस्त मे सडक बात कर रही हू मे ऐसे नही है जैसे आज हुं मेरी कहानी बेशक बहुत दिलचस्प है मेरी आत्मकथा सुनकर आपको खुशी होगी क्या आप मेरी आत्मकथा सुनेंगे ठीक है तो सुनो
       अनेक वर्ष तक मे केवल एक लंबा संकरा फुटपाथ था। बहुत सारे लोग मेरे ऊपर से आ जा रहे थे। मैं बहुत ही संकरा था इसलिए सिर्फ पैदल चलने वाले लोग ही मेरा इस्तेमाल करते थे। लेकिन एक दिन गांव के कुछ नौजवानों ने साथ आकर कहा कि अब हम इस सड़क को बड़ा करेंगे । फिर गांव के बहुत से लोग एक साथ आए और मेरा रूप बदल दिया और कुछ ही दिनों में मैं एक संकरे फुटपाथ से चौड़ी सड़क बन गई।
          अब मैं बहुत खुश था क्योंकि अब बड़ी-बड़ी गाड़ियां भी मेरे ऊपर से दौड़ रही थी। सुबह शाम लोग मेरे ऊपर से आने जाने लगे। कुछ दिनों बाद गांव के एक प्रमुख व्यक्ति ने जिला कार्यालय के अधिकारियों से मुलाकात की और मुझ पर पत्थर, कंकड़ डलवाए जिससे मुझे थोड़ा अच्छा रूप प्राप्त हुआ।

प्रिय मित्रों इस निबंध का निम्नलिखित नाम भी हो सकता है।

  1. |मैं सड़क बोल रही हूं निबंध हिंदी
  2. |सड़क की आत्मकथा हिंदी निबंध
  3. |Sadak ka manogat
  4. |सड़क बोलने लगी तो हिंदी निबंध

    प्रिय विद्यार्थी मित्रों तुम्हें यह एक सड़क की आत्मकथा |sadak ki atmakatha nibandh  कैसा लगा ? यह मुझे कमेंट कर  बताएं। तथा आपको और भी कोई निबंध चाहिए तो वह भी बताइए।
 अपना कीमती समय देने के लिए धन्यवाद।


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तुमचा मौल्यवान अभिप्राय याठिकाणी नक्की नोंदवा. ब्लॉगला भेट दिल्याबद्दल धन्यवाद. पुन्हा अवश्य भेट द्या.

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